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Monday, February 29, 2016

अभिव्यक्ति की आजादी और देश प्रेम


अभिव्यक्ति कुछ कहने की आजादी और देश प्रेम

कुछ लोग देश के संविधान से असहमत हो तो कोई आश्चर्य की बात नहीं, किसी भी देश में उस देश का हर नागरिक वहा के संविधान से सहमत नहीं हो सकता! और न ही हर नागरिक के लिए अलग संविधान व न हीं कुछ लोगो के असहमत होने से उसमे बदलाव करना संभव है!

संविधान कई लोगो के सहमती से बनता है! लाखो बदलाव के बाद भी कुछ लोग उससे असहमत ही होंगे, इसके लिए देशद्रोह, दंगे व हड़ताल करके देश के करोडो लोगो और देश की मर्यादा को हानि पंहुचा कर देश का अहित करना देशद्रोह से कम नहीं हो सकता! ये तो हिंदुस्तान का संविधान ही है जहा इतना कुछ होने पर भी आप आजादी की साँस ले रहे है, अन्यथा किसी दुसरे देश में होने पर आपको बहूत बड़ा परिणाम भुगतना पड़ता, देश का शुक्रिया करो! लाखो कुर्बानियों से मिली इस आजादी को बर्बाद करके आप कही भी सुरक्षित नहीं रह सकते!



आपके शब्द अगर देश को हानि पहुचाते है तो आपमें और आतंकवादीयो में ज्यादा अंतर नहीं है, अभिव्यक्ति की आजादी से आपको किसी के टुकड़े करने और मारने की धमकी देने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकती (ये तो फिर भी देश की बात है)

जय हिन्द!!

Friday, February 26, 2016

राम ने सीता का त्याग क्यों किया था?- Sita Ko Ram ne Kyo Cho-d Diya


राम ने सीता को क्यों छोड़ दिया (सीता का वनवास)

अक्सर लोगो के मन में ये सवाल उठता रहता है के आखिर राम जी ने सीता माँ को अकेले जंगल में क्यों छोड़ दिया था, एस्ले लिए लोग राम की बुरे भी करते है, हमें कभी भी बिना पूरा सच जाने बगैर अपनी धरनाये नहीं बनानी चाहिए इससे हमारा खुद का ही नुक्सान होता है तो पाठको आज में आको इस सच्चाई के बारे में बताने जा रहा हो जिसका जवाब आपको बैचैन किये हुए है!
  • दोस्तों, श्री राम ने सीता माँ का त्याग नहीं किया था उन्होंने तो सीता जी को वनवास दिया था जिससे सीता जी पर दुनिया में फिर कोई कभी भी ऐसा आरोप कोई न लगा सके!
    भगवान श्री राम सीता जी को जंगल नहीं भेजते तो दुनिया आज भी सीता के चरित्र पर दाग लगा रही होती जिस तरह से लोग इस युग में आसानी से किसी भी व्यक्ति को बदनाम कर देते है! 
  • उस युग में ही कुछ लोग सीता जी पर इल्जाम लगाने लगे थे इसलिए राम जी को सब कुछ जानते हुए भी ऐसा करना पड़ा, जिससे के कोई भी व्यक्ति सीता माता के चरित्र पर कभी भी भविष्य में ऊँगली न उठा सके और अगर ऐसा हो जाता तो राम जन्म असफल हो जाता!
  • अयोध्या के लोगो के मन में सीता जी की पवित्रता को लेकर जो सवाल आ रहे थे उस वक़्त उसका समाधान नहीं होने पर राम के एक सच्चे राजा होने पर और सीता की पवित्रता का अपमान होता तथा कलयुग में लोग सीता की पवित्रता को कलंकित कर रहे होते! और रामायण का वो अध्याय पूरी रामायण का सबसे बुरा अध्याय बन जाता जिसमे राम के होते हुए माँ सीता का अपमान पूरी मानव जाती कर रही होती! 
  • जबकि सत्य ये है के श्री राम ने अगर ऐसा नहीं किया होता तो सीता जी के चरित्र पर अब तक ना जाने कितनी उंगलिया उठ चुकी होती और लोग अब तक तो रामायण की सत्यता को भी झुठला चुके होते!

    यही नहीं लोगो की नजर से राम और सीता माँ का नाम हमेशा के लिए मिट गया होता!
  • सीता जो सर्व जगत की माँ है और माँ का अपमान सृस्टि के विनाश का कारण बन सकता था, इसलिए राम ने सर्व जगत को बचाने के लिए भी सीता को आज्ञा देकर अकेले वनवास जाने के लिए कहा और दुनिया की नजर में सीता की पवित्रता साबित करके खुद बुरे मन गये !
    सीता के जाने के बाद राम ने सीता की हूबहू मूर्ति बनवाई और और हमेशा उसी मूर्ति के पास अकेले बैठे रहते सीता को याद करते हुए
  • माँ सीता के जाने के बाद श्री राम ने सीता जी की हूबहू मूर्ति बनवाई और हमेशा उसी मूर्ति के पास अकेले बैठे रहते सीता को याद करते हुएवो उनमे इतना खोये रहते थे के सारा राजकाज तक भूल गए और उनका किसी भी कार्य में जी नहीं लगता!
  • राम एक पल के लिए भी सीता जी को कभी भी नहीं भुला पाए और सदा उनके मन और ह्रदय में सीता जी सूक्ष्म रूप में सदा विराजमान रही!

  • राम मनुष्य रूप में थे और उन्होंने इस जन्म में अपनी  महा माया शक्ति (विष्णु माया पति  है, अर्थात जिसके अधीन सारे ब्रह्माण्ड की माया शक्ति होती है और वो उसका स्वामी ) का इस्तेमाल नहीं किया ! क्योंकि राम जन्म उन्होंने एक साधारण से इंसान के रूप में लिया था और उसी की तरह व्यव्हार करके दुनिया में आदर्श स्थापित करना थे के बिना अद्भुत शक्तियों के भी विजय प्राप्त किया जा सकता है!

हनुमान चालीसा और विज्ञान- Science Also Accepted Hanuman Chalisa


अब हनुमान चालीसा पर विज्ञान की मुहर

वैज्ञानिक शोध में हनुमान चालीसा की सत्यता पर मुहर लग गई है. अब विज्ञान भी मानता है के हनुमान चालीसा में लिखी हुई पंक्तियों में जो सूरज से प्रथ्वी की दुरी बताई गई है एकदम सत्य है.

पृथ्वी से सूर्य की दूरी एकदम वही है जो हनुमान चालीसा में बताई गई है, वैज्ञानिक अपनी रिसर्च पर अचंभित है! के ये कैसे हो सकता है,  विज्ञानिको के समूह ने कई बार  रिसर्च को गलत समझकर बार बार दुबारा  किया लेकिन हर बार यही जवाब निकला हनुमान चालीसा में लिखी बात सही है!

!!जग सहस्रा योजन पर भानु!!
!!लील्यो ताहि मधुर फल जानु !!


Tuesday, December 22, 2015

ब्रिटेन की अर्थव्यस्था भारत की संपत्ति है


ब्रिटेन की अर्थव्यस्था भारत की संपत्ति है ?


ISIS से बड़ा गुनेहगार ब्रिटेन जैसे देश है, ब्रिटेन एक ऐसा देश है जिसने भारत पर तकरीबन 250 सालो तक राज किया! ईसाइयो का ऐसा तबका जिसका एकमात्र मकसद दूसरे देशो का धन लूट कर और उन देशो के लोगो को गुलाम बना कर सब कुछ हथिया लेना इनका एकमात्र मकसद रहा. जब अंग्रेज भारत आये थे तब इनका देश घोर मंडी और गरीबी के संकट से गुजर रहा था! उस गरीबी और भुखमरी को दूर करने के लिए और अपने ईसाई धर्म को सारी दुनिया में स्थापित करने के इन्होने भारत देशो में धोखे और छल से व्यापर स्थापित किये उन पर उनपर कब्ज़ा कर लिया !

 

अंग्रेजो ने भारत( जो उस समय सोने की चिड़िया के नाम से भी जाना जाता था) को जी भर के लूटा, धन दौलत, हीरे जवाहरात, सोना चांदी , मांडिक्य, और सैकड़ो तरह के खजाने को जी भर के लूटा सैकड़ो की संख्या में बड़ी बड़ी जहाजो में खजाना भर भर का 250 सालो तक भारत से लूट कर ले गए. भारत में जहा जहा ये लूट करते वह के लोगो गुलाम बनाते या मार डालते गए औरतो का लाखो की संख्या में बलात्कार कर उन्हें गुलाम बनाया या फिर मार डाला गया ! पति के मरे जाने पर या सामूहिक बलात्कार के कारन औरते सती होने लगी.



अंग्रेजो ने जब 250 सालो तक भारत पे राज किया उस समय उन लोगो ने भारत में बहुत सी सड़को, इमारतों, और कानूनो को बनाया ये सब उन लोगो ने अपने इस्तेमाल के लिए बनाए थे न की भारत के विकास के लिए.
अंग्रेजो ने भारत की संस्कृती को पूरी तरह नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोडा था! भारत को हर तरह से बर्बाद और तबाह किया !


 ISIS जैसे आतंकवादी संगठन ने जितनी तबाही मचा रखी है वो अंग्रेजो की उस तबाही के आगे बहुत काम है जो उनलोगो ने 250 सालो में भारत में की थी।

अगर ये कहा जाये के ब्रिटेन में आज जितना भी धन और पैसा है वो सब भारत का है तो ये गलत नहीं होगा. अंग्रेजो की अर्थव्यस्था की हर एक इंट भारत के लुटे हुए पैसे से चल रही है. ब्रिटेन की महारानी भारत से  लुटे हुए कोहिनूर हीरे को अपने ताज में आज भी धारण किये हुए भारत पर की गई अपनी उस लूट पर गर्वित होती है.



अंग्रेज अपने पीछे भारत में जो छोड़ गए वो बेहद दुखनीय है। ...

  1. गरीबी 
  2. भुकमरी 
  3. पाकिस्तान (कभी भारत का हिस्सा था )
  4. बांग्लादेश (कभी भारत का हिस्सा था )
  5. म्यांमार (कभी भारत का हिस्सा था )
  6. जम्मू कश्मीर  (आज कश्मीर के बहुत बड़े हिस्से पे पाकिस्तान और चीन का कब्ज़ा है)
  7. अशिक्षा 
  8. कुपोषण 
  9. हिन्दू,  मुस्लिम, सिख, ईसाई (पहले सब एक दूसरे से मिल कर रहते थे)
  10. साम्प्रदायिकता 
  11. दंगे 
  12. इत्यादि
आज अगर ब्रिटेन (अंग्रेज) खुद को आतंकवादियों से ग्रसित और आतंकवादियों पे हमले करके खुद को अच्छा साबित करने की कोसिस कर रहा है तो ये समझ से पर है ! जो खुद कभी आतंकी देश रह चूका है जिसने सिवाए आतंक और लूट मचाने के सिवाय कुछ नहीं किया ! इतिहास अंग्रेजो के आतंकवादी देश होने का गवाह है, और जो आतंक में लुटे हुए मासूम लोगो के इज्जत खून और धन से अपना घर चला रहे है.

अंग्रेज भारत को पूरी तरह लूटने और बर्बाद करने के बाद भी यहाँ से जाना नहीं चाहते थे ! उनको भगाने के लिए हमारे देश के कितने ही क्रांतिकारियों ने अपने आप को बलिदान कर दिया. जाते-जाते भी अंग्रेज भारत के टुकड़े कर गए पाकिस्तान बना कर हिन्दुओ और मुस्लिमो में लड़ाई करा गए! अंग्रेजी और अंग्रेजी कल्चर  भारतीय संस्कृती का विनाश करने के लिए छोड़  देश की राष्ट्र भाषा हिंदी का सदा ही दमन किया !

अंग्रेजो के दिए जख्म ऐसे है जो कभी नहीं भर सकते!

ब्रिटेन को अपनी इस मानसिकता और करनी पर कभी दुःख और शर्म महसूस नहीं हुआ! वो लगातार भारत की गरीबी, और हालत पे कसीदे व तंज कस्ता रहा है! जो उसी की देन है और खुद भारतीय लोग उनकी भाषा, संस्कृती, ज्ञान, और अर्थव्यस्था को हमेशा भारत से बेहतर मानते रहे है और अंग्रेजो की हर चीज की महिमा मंडन करते रहते है! ठीक उस तरह जैसै अपनी लूटी हुई माँ की असमत पे कोई बालक हस रहा हो!

बलात्कारी कौन है - बलात्कारी फिल्मे- Who is Rapist

 बलात्कारी कौन है ? क्या ये सवाल सही है या सवाल ये होना चाहिए के आखिर कोई व्यक्ति बलात्कारी क्यों बना! कौन है उसके बलात्कारी बनने का जिम्मेदार ?
सवाल ये है के आखिर किसी बच्चे के मन में ऐसी सोच भरी भावनाए क्यों जन्म ले रही है ! ये बलात्कारी मन की  भावनाए जन्म कहाँ से ले रही है. कहा जाता है के बच्चा वही सीखता है जो उसे सिखाया जाता है. और बड़े होने पर वैसे ही कुछ करता है जो  अपने बचपन से जवानी तक सीखा और देखा !

हमारे स्कूलों में बच्चे आजकल मोबाइल से बढ़ते है और इंटरनेट है. ऐसे टेक्नोलॉजी जिससे बड़ी आसानी से बच्चो के मन और मस्तिष्क से आसानी  खिलवाड़ किया जा सकता है बिना रोकटोक मानसिक विकार लाया जा सकता है.



हमारे समाज में अधिकतर लोग अश्लील सामग्रियों को देखने के लिए इंटरनेट और मोबाइल के इस्तेमाल को सही ठहराते है! ये जानते हुए की बच्चे और  कुंठित बुद्धि के लोग भी आसानी से उस तक पहुंच सकते है. आजकल तो बच्चे अपने मन में आने वाले हर सवाल का जवाब ढूंढने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते है. बुद्धिजीवी वर्ग और आजादी के नाम पर लोग अपने स्वार्थ के कारण इस भीषण अश्लील सामग्री को बच्चो और दशदगर्द तक पंहुचा रहे है  हमारे बच्चो को बीमार बना रहे है.

बॉलीवुड ( Bollywood) में काम करने वाले फ़िल्मी कलाकार भी दिल खोल के अंग प्रदर्शन करते है सिर्फ पैसो और अपने स्वार्थी मन के कारण, फिल्मो को देखने वाला अधिकतम युवा वर्ग है. परदे पर आने वाली फिल्मे अधिकतर अश्लील संवादों, चित्रो और इशारो से भरपूर होते है. जिन पर अगर सेंसर बोर्ड कैंची चलाता है तो उसे कोसने गलियो की बौछार करने में सदा सबसे आगे फिल्म बनाने वाले और उनके लोग होते है. जो पैसे और अपने ऊँचे कद की वजह से अपनी फिल्मो को पास करा लेते है. फिल्मो को अपनी आजादी के नाम पर सही ठहराने में सफल हो जाते है. सेक्स एक ऐसा विषय है जो किसी भी व्यक्ति के मन को आसानी से अपना शिकार बना लेता है और व्यक्ति को सभी कुछ सेक्स से परिपूर्ण और सही नजर आता है !

मनोरंजन के नाम पर फिल्मे अश्लील,अज्ञान, और सेक्स बाट रहे है! क्या बच्चो और कुंठित लोगो के साथ और ये उनके  भविष्य से खिलवाड़ नहीं है.  बच्चो को अश्लीलता का पाठ और रास्ता दिखती ये फिल्मे, हमारे बच्चो को अंतत: बलात्कारी तक बनाने की ताकत रखती !

स्कूलों में बच्चो को स्मार्टफ़ोन पकड़ा दिया जाता है. बच्चे उनका इस्तेमाल अश्लील फिल्मे, कामुक कहानी, और अश्लील चाट करने में ज्यादा इस्तेमाल करते  है बजाय इसके के इसका इस्तेमाल पढाई में करे.whatsapp  जैसे applications इसमें एक अहम भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे जिनसे बच्चे आसानी से अश्लील सामग्री को शेयर करते है. जबकि बच्चो का काम एक साधारण फोन देने से चल सकता है. पढाई के लिए किताबो का अत्यधिक इस्तेमाल होना चाहिए. पढाई एक साधना है. ज्ञान को पाने के लिए पढाई की साधना करने पर बल देना चाहिए ना के technology के इस्तेमाल से उसकी पहुंच गलत सामग्री तक आसान बनाने से जो ज्यादातर सभी को आसानी से अपनी गिरफ्त में ल रही है. पानी को गन्दा करने के लिए गंदे पानी की एक बूँद ही काफी है.  अच्छे और गंदे ज्ञान के समुद्र में मासूम बच्चो और युवाओ की तबाही को ही जन्म देगा.

आजकल लोग अश्लील लोगो के विचारो को सही मानने और बुद्धिजीवियों को नीरा मुर्ख समझने लगे है और  आजादी के नाम पर अपनी फिल्मो को हिट करा रहे है. पैसो से सब ख़रीदा जा रहा है. मानव मानवता और ज्ञान सब पर ज्ञान और पैसा हावी है.

इन अश्लील फिल्मो के, संवाद, और चरित्र बच्चो और युवको के मन पे हावी हो रही है, sex बच्चो और युवाओ के दिमाग पर सबसे पहले हावी होता है जो सही और गलत का फर्क खत्म कर देता है. और सेक्स न मिलने पर उन्हें बलात्कार जैसा संगीन जुर्म करने पर विवश करता है. ये अश्लीलता सेक्स के लिए दिमाग को प्रेरित करता है और इसका अधिकतम आवेग एक बच्ची या बुरके में चलने वाली औरत को भी उसका शिकार बना देता है.

इसके जिम्मेदार ये नाजुक और कोमल मन को गलत काम करने के लिए प्रेरित करने वाले ये अश्लीलता परोसते फिल्मे, विज्ञापन, डायलाग, सीरियल अर्धनग्न शरीर की नुमाइश करने वाले लोगो की लम्बी फेहरिस्त है. इन्हे इनके जुर्म का आभास भी नहीं है. ये लोग बलात्कार होने पर शांति पूर्ण ढंग से कैंडल मार्च निकलते हुए बलात्कारी को सजा देने की मांगे करते है. अशलीलता जैसे भयानक अजगर को जो बलातकार करने पर मजबूर करता है उसे लोग आजादी के नाम आम बढ़ावा देते है.

स्कूलों में बच्चो को संस्कार के कोई भी विषय नहीं पढ़ाया जाता है, जो हमारी संस्कृति का मूल है! न ही उन्हें छोटो और बड़ो से अच्छा आचरण करना सिखाया जाता है और न ही अच्छे और बुरे ज्ञान में भेद करना बताया जाता है. चाँद स्कूली किताबो में लिखे हुए को बढ़ा कर शिक्षक और माता पिता अपनी ड्यूटी पूरी कर लेते है. बच्चे किताबो से कम फिल्मो से अधिक सीखते है. क्या हमारे बुद्धिजीवी वर्ग को और शिक्षा के वस्तार शिक्षा के नियम बनाने वाले लोगो, फिल्म निर्माताओ, और सरकारों में बैठे लोगो को ये समझ नहीं आता की बढ़ती अश्लीलता से बच्चो को क्या सीख और ज्ञान मिल रहा है!  ये सब जानते है.
फिल्म के कहानी, संवाद, गीत, अभिव्यक्ति, सभी में अश्लीलता और सेक्स की भरमार हमारे बच्चो को बीमार और बीमार बना रही है ! बलात्कारी और जुर्म की तरफ धकेलने का काम ज्यादा कर रही है. फिल्म के निर्माता पैसो के लोभ में बलात्कारियो को जन्म देने का सबसे बड़ा काम करते है. और कहते है के लोग यही  देखना चाहते है. ऐसा कहकर के निर्देशक सच्चाई  अपनी जिम्मेदारियों से आजादी के नाम पर पीछा छुड़ा लेते है ! पिछले कुछ दशको से फूहड़ फिल्मे, अश्लील मज़ाक परोसने वाले सीरियलों न निर्माण बड़े स्तर पे करते रहते है. जो टीवी  सिनेमा घरो तक अश्लील ज्ञान बाटते रहते है. जबकि सच ये है के है के अश्लील फिल्मो को विद्यार्थी, और कुंठित लोग ही अधिक देखते है. ये फिल्मे पारिवार के साथ देखने के लायक नहीं होती. जो फिल्मे साफसुथरी होती है उनमे भी एकाध दृश्य अश्लीलता के होते ही है जिसके आने पर दर्शक एक दूसरे के बंगले झाकने लगते है।

इंटरनेट पर ये फ़िल्मी कलाकार अर्धनग्न कपड़ो में भी अपनी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करते रहते है, यूट्यूब जैसे वीडियो साइट्स भी इन्हे फ़ैलाने में बड़ी भूमिका निभा रहे है. छोटे और निम्न स्तर के निर्माताओ को भी बहुत बड़ा दर्शक वर्ग इन वेबसाइट के जरिये आसानी से मिल जाता है अश्लील सामग्री से पैसा कमाने के लिए! अश्लील फ़िल्मी वीडियो भी आसानी से उपलब्ध होती है! फेसबुक, यूट्यूब, और दूसरी साइट्स चलाने वाली साइट भी इसमें पीछे नहीं जो इन अश्लील निर्माताओ और कलाकारों को नग्नता फ़ैलाने का पूरा मौका देते है. और सरकार इनपर प्रतिबन्ध लगाने के बजाय चुप्पी साढ़े बैठी  पैसा कमाने में लगी है. सब नियम और कानून को तोड़ने में भी उच्च वर्ग पैसो के बल पर सबसे आगे  है और अगर कोई कदम उठाया जाता है तो  इस व्यवसायों से जुड़े लोग इसके विरुद्ध आ जाते है. ऐसा लगता है के फ़िल्मी उद्योग से जुड़े लोग ही पीछे से देश को चला रहे है, या फिर देश को चलाने वाले ही फ़िल्मी उद्योग चला रहे है.

लोगो की मानसिकता भी निम्न स्टार पर पहुंच गई है. जहा अपना पेट पालने के लिए औरत अगर डांस बार और वेश्या  बनती है तो लोग उससे अपने बच्चो को और खुद दूर रहना पसंद करते है उनके बारे में सोचना और बात करने वालो को भी बुरा समझते है. वही अपने आजादी, मजे और पैसे के लिए विदेशो में सैकड़ो मर्दो के साथ समय बिताने वाली विदेशी अश्लील फिल्मो (सनी लियोनी) की अभिनेत्री के साथ फिल्म में काम करना, साथ सेल्फ़ी लेने चाय पीने में लोग अपने आप को सभ्य और बड़ा समझते है. ऐसे लोग आने वाली पीढ़ी को खुलेपन नग्नता जैसे नामो से कोमल मन के बच्चो और युवाओ को गलत पर रस्ते पर धकेल कर अश्लीलता, और कामुकता के गलत कुतर्को से इन्हे सही और धार्मिक काम जैसा महत्व दे रहे है.

बलात्करिओ को जन्म देने का सबसे बड़ा श्रेय हमारे आधुनिक समाज के लोगो का है जो करोडो पैसा जिस्म की नुमाइश, अश्लीलता और कामुकता के फ़िल्मी रुपी विज्ञापन पे खर्च करके लोगो का ब्रेन वाश कर उन्हें बलात्कारी और अपराधी बना रहे है. जबतक लोग, फिल्मे और अभिनेता इन फिल्मो को प्रोत्साहन देते रहेंगे इन्हे देखने जाते रहने और  लोगो को समर्थन मिलता रहेगा बलात्कारी पैदा होते रहेंगे और करोडो निर्भया बसो,  सड़को,गलियो, बंद कमरो में दबाई कुचली जाती रहेंगी, बलात्कार होते रहेंगे,  ऐसे ही कैंडल मार्च होते   रहेंगे. और मासूम बच्चे, युवा इनके भवर में फसकर बलात्कारी बनते रहेंगे.


Thursday, October 27, 2011

Maaaaa.... Tujhe Dhundoo Kahaaa..... Maaaaa?


Ek pedh jisne kabhi mujhe dhup lagne na di,
apne aanchal mein chupa ke rakha nazar kisi ki lagne na di.
yad ate hai bachpan ke din jab tu mujhe khilati thi,
har bar rone par tu hi mujhe hasati thi.
Achi neend ke liye naajane kaha kaha se nyi loria aur kahaniya lati thi,
ro padhta hai yeh dil yad karke woh din jab hatho se apne khana khilati thi.

Teri ungli pakad ke maine chalna sikha, teri hi aankho se yeh sansar maine dekha.
bhagwan khud na aa ska is liye shayad tujhe mere liye bhej diya,
nhi to woh bhi to hai yaha jinhe lawaris hi sansar mein chod diya.
aaj fer teri god mein sone ko dil kare,tere hatho se khane ko dil bekrar hai.
Yad a gye woh sunhere din, dil aaj bhi us samay mein jane ko bekrar hai
bas ab yadein hi reh gyi yaad karne ko, bachpan lot ke to aa nhi sakta,
tujhe kitna chata hu maa tujhe kabhi yeh bta nhi sajkta
mera har saans tera ehsan hai..jab chahe ise le lena,
chod ke na jana kabii chahe meri sanse bhi mujhse le lena....