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Monday, February 29, 2016

अभिव्यक्ति की आजादी और देश प्रेम


अभिव्यक्ति कुछ कहने की आजादी और देश प्रेम

कुछ लोग देश के संविधान से असहमत हो तो कोई आश्चर्य की बात नहीं, किसी भी देश में उस देश का हर नागरिक वहा के संविधान से सहमत नहीं हो सकता! और न ही हर नागरिक के लिए अलग संविधान व न हीं कुछ लोगो के असहमत होने से उसमे बदलाव करना संभव है!

संविधान कई लोगो के सहमती से बनता है! लाखो बदलाव के बाद भी कुछ लोग उससे असहमत ही होंगे, इसके लिए देशद्रोह, दंगे व हड़ताल करके देश के करोडो लोगो और देश की मर्यादा को हानि पंहुचा कर देश का अहित करना देशद्रोह से कम नहीं हो सकता! ये तो हिंदुस्तान का संविधान ही है जहा इतना कुछ होने पर भी आप आजादी की साँस ले रहे है, अन्यथा किसी दुसरे देश में होने पर आपको बहूत बड़ा परिणाम भुगतना पड़ता, देश का शुक्रिया करो! लाखो कुर्बानियों से मिली इस आजादी को बर्बाद करके आप कही भी सुरक्षित नहीं रह सकते!



आपके शब्द अगर देश को हानि पहुचाते है तो आपमें और आतंकवादीयो में ज्यादा अंतर नहीं है, अभिव्यक्ति की आजादी से आपको किसी के टुकड़े करने और मारने की धमकी देने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकती (ये तो फिर भी देश की बात है)

जय हिन्द!!

Friday, February 26, 2016

राम ने सीता का त्याग क्यों किया था?- Sita Ko Ram ne Kyo Cho-d Diya


राम ने सीता को क्यों छोड़ दिया (सीता का वनवास)

अक्सर लोगो के मन में ये सवाल उठता रहता है के आखिर राम जी ने सीता माँ को अकेले जंगल में क्यों छोड़ दिया था, एस्ले लिए लोग राम की बुरे भी करते है, हमें कभी भी बिना पूरा सच जाने बगैर अपनी धरनाये नहीं बनानी चाहिए इससे हमारा खुद का ही नुक्सान होता है तो पाठको आज में आको इस सच्चाई के बारे में बताने जा रहा हो जिसका जवाब आपको बैचैन किये हुए है!
  • दोस्तों, श्री राम ने सीता माँ का त्याग नहीं किया था उन्होंने तो सीता जी को वनवास दिया था जिससे सीता जी पर दुनिया में फिर कोई कभी भी ऐसा आरोप कोई न लगा सके!
    भगवान श्री राम सीता जी को जंगल नहीं भेजते तो दुनिया आज भी सीता के चरित्र पर दाग लगा रही होती जिस तरह से लोग इस युग में आसानी से किसी भी व्यक्ति को बदनाम कर देते है! 
  • उस युग में ही कुछ लोग सीता जी पर इल्जाम लगाने लगे थे इसलिए राम जी को सब कुछ जानते हुए भी ऐसा करना पड़ा, जिससे के कोई भी व्यक्ति सीता माता के चरित्र पर कभी भी भविष्य में ऊँगली न उठा सके और अगर ऐसा हो जाता तो राम जन्म असफल हो जाता!
  • अयोध्या के लोगो के मन में सीता जी की पवित्रता को लेकर जो सवाल आ रहे थे उस वक़्त उसका समाधान नहीं होने पर राम के एक सच्चे राजा होने पर और सीता की पवित्रता का अपमान होता तथा कलयुग में लोग सीता की पवित्रता को कलंकित कर रहे होते! और रामायण का वो अध्याय पूरी रामायण का सबसे बुरा अध्याय बन जाता जिसमे राम के होते हुए माँ सीता का अपमान पूरी मानव जाती कर रही होती! 
  • जबकि सत्य ये है के श्री राम ने अगर ऐसा नहीं किया होता तो सीता जी के चरित्र पर अब तक ना जाने कितनी उंगलिया उठ चुकी होती और लोग अब तक तो रामायण की सत्यता को भी झुठला चुके होते!

    यही नहीं लोगो की नजर से राम और सीता माँ का नाम हमेशा के लिए मिट गया होता!
  • सीता जो सर्व जगत की माँ है और माँ का अपमान सृस्टि के विनाश का कारण बन सकता था, इसलिए राम ने सर्व जगत को बचाने के लिए भी सीता को आज्ञा देकर अकेले वनवास जाने के लिए कहा और दुनिया की नजर में सीता की पवित्रता साबित करके खुद बुरे मन गये !
    सीता के जाने के बाद राम ने सीता की हूबहू मूर्ति बनवाई और और हमेशा उसी मूर्ति के पास अकेले बैठे रहते सीता को याद करते हुए
  • माँ सीता के जाने के बाद श्री राम ने सीता जी की हूबहू मूर्ति बनवाई और हमेशा उसी मूर्ति के पास अकेले बैठे रहते सीता को याद करते हुएवो उनमे इतना खोये रहते थे के सारा राजकाज तक भूल गए और उनका किसी भी कार्य में जी नहीं लगता!
  • राम एक पल के लिए भी सीता जी को कभी भी नहीं भुला पाए और सदा उनके मन और ह्रदय में सीता जी सूक्ष्म रूप में सदा विराजमान रही!

  • राम मनुष्य रूप में थे और उन्होंने इस जन्म में अपनी  महा माया शक्ति (विष्णु माया पति  है, अर्थात जिसके अधीन सारे ब्रह्माण्ड की माया शक्ति होती है और वो उसका स्वामी ) का इस्तेमाल नहीं किया ! क्योंकि राम जन्म उन्होंने एक साधारण से इंसान के रूप में लिया था और उसी की तरह व्यव्हार करके दुनिया में आदर्श स्थापित करना थे के बिना अद्भुत शक्तियों के भी विजय प्राप्त किया जा सकता है!

हनुमान चालीसा और विज्ञान- Science Also Accepted Hanuman Chalisa


अब हनुमान चालीसा पर विज्ञान की मुहर

वैज्ञानिक शोध में हनुमान चालीसा की सत्यता पर मुहर लग गई है. अब विज्ञान भी मानता है के हनुमान चालीसा में लिखी हुई पंक्तियों में जो सूरज से प्रथ्वी की दुरी बताई गई है एकदम सत्य है.

पृथ्वी से सूर्य की दूरी एकदम वही है जो हनुमान चालीसा में बताई गई है, वैज्ञानिक अपनी रिसर्च पर अचंभित है! के ये कैसे हो सकता है,  विज्ञानिको के समूह ने कई बार  रिसर्च को गलत समझकर बार बार दुबारा  किया लेकिन हर बार यही जवाब निकला हनुमान चालीसा में लिखी बात सही है!

!!जग सहस्रा योजन पर भानु!!
!!लील्यो ताहि मधुर फल जानु !!